नाम- सुरेंद्र प्रताप सिंह
जन्म- 3 दिसंबर 1948 में गाजीपुर (उत्तर प्रदेश) के पातेपुर गांव में
पिता का नाम- जगन्नाथ सिंह
भाई-बहन- चार बहनें, दो भाई।
शिक्षा- गारुलिया मिल हाई स्कूल, गारुलिया (जिला 24 परगना, पश्चिम बंगाल), कलकत्ता विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर, पी एच. डी, एलएलबी
व्यवसाय- पत्रकारिता में आने से पहले सुरेंद्रनाथ महाविद्यालय, कलकत्ता के हिंदी विभाग में व्याख्याता।
पत्रकारिता में- 1972 में टाइम्स सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज़, मुंबई में प्रशिक्षु पत्रकार के रूप में चुने गए। माधुरी/धर्मयुग में प्रशिक्षु, फिर धर्मयुग में उप-संपादक
मई 1977 से रविवार में सहायक संपादक, अक्टूबर 1977 में संपादक।
जनवरी 1985 से नवभारत टाइम्स मुंबई में स्थानीय संपादक, 1986 में नवभारत टाइम्स के नई दिल्ली संस्करण में कार्यकारी संपादक।
1991 में देव फीचर्स, नई दिल्ली से जुड़े।
1994 में अंग्रेजी दैनिक टेलीग्राफ के राजनीतिक संपादक।
1995 जुलाई में इंडिया टुडे पत्रिका के भाषायी संस्करणों के कार्यकारी संपादक।
टीवी समाचार पत्रिका आजतक के कार्यकारी प्रोड्यूसर।
फिल्मों में लेखन- प्रेम कपूर की फिल्म क्षितिज (1974) की पटकथा लिखी।
1984 में समरेश बसु की कहानी पर गौतम घोष की फिल्म पार के संवाद लिखे।
मृणाल सेन की टेलीफिल्म तसवीर अपनी-अपनी (1984) और फिल्म जेनेसिस (1986) की पटकथाएं लिखी।
मृत्यु- 27 जून 1997 को नई दिल्ली में
*(सुरेंद्र प्रताप सिंह के भतीजे चंदन प्रताप सिंह की दी गई जानकारी के आधार पर)
ये थी खबरें आजतक,इंतजार कीजिए कल तक. एसपी यानी सुरेंद्र प्रताप सिंह। दूरदर्शन कार्यक्रम आज तक के संपादक एसपी सिंह जितना यथार्थ बताते रहे, उतना फिर कभी किसी संपादक ने टीवी पर नहीं बताया।रविवार पत्रिका की खोजी पत्रकारिता के पीछे उन्हीं की दृष्टि थी।राजनीतिक-सामाजिक हलचलों के असर का सटीक अंदाज़ा लगाना और सरल भाषा में उसका खुलासा कर देना उनका स्टाइल था।पाखंड से आगे की पत्रकारिता के माहिर थे एसपी।पत्रकारिता के पहले और आखिरी महानायक एसपी के लेखन का संचयन राजकमल ने छापा है। वही लेख आपको यहां मिलेंगे
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